प्रश्न :-राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के विकास के लिए शासन ने क्या कदम उठाये है ?
उत्तर :-राज्य शासन ने राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के विकास के लिये दो करोड़ पांच लाख रूपये की स्वीकृ ति प्रदान की है. इस राशि से वन्य प्राणियों के रह वासों में सुधार, जल स्रोतों के विकास, चेक पोस्ट निर्माण तथा पार्क इंटर पे्रटेशन सेंटर के विकास के कार्य कराये जायेंगे.
प्रश्न :- किन-किन अभ्यारण्यों के लिये कितने-कितने रूपयों की धन राशि दी गयी है ?
उत्तर :- वन वृत्त के तीन अभ्यारण्यों के लिये ४५ लाख रूपये, बिलासपुर के दो अभ्यारण्यों के लिये ३० लाख रूपये, जगदलपुर के दो राष्ट्रीय उद्यानों व दो अभ्यारण्यों के लिये ५० लाख रूपये, दुर्ग के एक अभ्यारण्य तथा सरगुजा वनवृत्त के एक राष्ट्रीय उद्यान तथा तीन अभ्यारण्यों के लिय ६५ लाख रूपये शामिल है. इसी वर्ष रायपुर के नजदीक स्थित नंदन वन के विकास के लिये ३० लाख रूपये तथा बिलासपुर के पास कानन पेण्डारी के विकास के लिए २० लाख रूपये की स्वीकृति दी गई है.
प्रश्न :-वन विभाग के कर्मचारियों की समस्याआें के संबंध में आपकी क्या योजानाएं है ?
उत्तर:-वन विभाग के कर्मचारी वन क्षेेत्रों में अनेक स्थानों पर आवास के मामले में काफी असुविधाजनक स्थिति मेंे काम करते है. उनके परिजनों को भी इस असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है. प्रदेश सरकार ने वन कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को आवास की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक व्यापक योजना बनायी है. इसी योजना के तहत इस वर्ष प्रदेश में ५८३ आवास गृह बनाए जा रहे है. आने वाले वर्षों में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आवास गृह बनवाने के काम को प्राथमिकता दी जायेगी. इस वर्ष पूरे प्रदेश में ४१२ वन रक्षक आवास गृह,१३४ वनपाल आवास गृह, २५ वनक्षेत्र पाल आवास गृह तथा १२ सहायक वन संरक्षक आवास गृह बनाए जायेंगे. इनमें से बिलासपुर वन वृत्त में १५२ आवासगृह, दुर्ग वनवृत्त में ७७, जगदलपुर वनवृत्त में ६२, कांकेर वनवृत्त में ८३, रायपुर वनवृत्त में १०० तथा सरगुजा वन वृत्त में १०९ आवास गृह बनेंगे.
प्रश्न :- लोक वानिकी योजना बनाने के पीछे क्या उद्देश्य है ?
उत्तर :- राज्य में निजी क्षेत्र के वनों के भू-स्वामियों को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ पहंंुचाने के उद्देश्य से लोक वानिकी योजना बनाई जायेगी. वन विभाग के अधिकारियोंे को इस योजना के लिए लोक वानिकी अधिनियम का मसौदा शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिये गये है.
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ वनौषधि बोर्ड द्वारा स्थानीय लोगोें को लाभ पहंुचाने हेतु क्या योजनाएं है ?
उत्तर :- छत्तीसगढ़ वनौषधि बोर्ड द्वारा राज्य में दस हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मेंहदी की खेती कर स्थानीय लोगों को रोेजगार एवं आय के साधन उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. डी. एस. ग्रुप नई दिल्ली द्वारा राज्य में प्रस्तावित ८३० करोड़ रूपये लागत से आंवला, बेल, चंदन, तथा अन्य वनौषधियों का पन्द्रह हजार एकड़ क्षेत्र में रोपण तथा २७ करोड़ रूपये की लागत से हर्बल प्रोसेसिंग यूनिट एवं रिसर्च एण्ड डेव्हलपमेंट सेन्टर स्थापित करने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है. वनौषधियों के क्षेत्र में पूरे देश में यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा जिसमें आगामी १५ वर्षों के प्रति हेक्टेयर २५०० मानव दिवस रोजगार सृजन के साथ-साथ पर्यावरण संबर्धक का कार्य होगा.
प्रश्न :- विदेशी निवेश्कों को आकर्षित करने के लिए क्या उपाय किये जा रहे है, और इसमें औद्योगिक विकास की क्या स्थिति है ?
उत्तर :- औद्योगिक विकास की द्यिष्ट से राज्य में वे तमाम खूबियां है जो देश-विदेश के निवेशकों को आकर्षित करती है. आज स्टील तथा बिजली के क्षेत्र में निवेश हेतु इतने उद्यमी लालायित है कि सरकार को इन क्षेत्रों मेें निवेश को नियंत्रित करना पड़ रहा है. इसके बावजूद प्रदेश की प्रचुर खनिज, वन तथा कृषि संपदा को देखते हुए इन क्षेत्रों में निवेश की काफी गुंजाइश है. राज्य का ४४ प्रतिशत क्षेत्र वनों सेेे ४५० प्रकार की वनौषधियां पाई जाती है. इनमें से ८८ प्रजातियां ऐसी है जिनका व्यवसायिक दोहन नहीं किया जा सका है.
प्रश्न :- राज्य में हर्बल उद्योग के विकास की क्या योजना है ?
उत्तर :- राज्य में औद्योगिक प्रक्षेत्रों की शैली में देश का पहला हर्बल व औषधि पार्क बनेगा. इसमें करीब ६० करोड़ रूपये की लागत आएगी. इसके बनने पर २५० करोड़ रूपए की पूंजी निवेश की संभावना क ी है. धमतरी जिले के कुरूद के नजदीक ग्राम बंजारी और बागौद में लगभग ड़ेढ़ सौ एकड़ सरकारी जमीन चिन्हांकित की गई है.
प्रश्न :- वनवासियों के लिए रोजगार व विकास के लिए क्या कदम उठाये जा रहे है ?
उत्तर :- वन क्षेत्र में रहने वाले वनवासियोंे का पेट वन से भरना चाहिये. वन उनके लिये पोषक का कार्य कर सके. वन उनकी आय का माध्यम बनना चाहिये. इसी सोच को ध्यान में रखकर वनों की सुरक्षा हेतु ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है. हम चाहते है कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में खेती से जितनी आमदनी नही हो सकती उससे ज्यादा एक हेक्टेयर वन क्षेत्र की सुरक्षा से उन्हें मिले. किसानों को फल-फूल के पौधे प्रदान किये जाएंगे. ताकि ग्रामीण अपनी बाड़ी में इसे लगाकर अतिरिक्त आय का जरिया बना सके. राज्य मंेे १० हजार गांव वन क्षेत्र से जुड़े हुए है. हमें इनके विकास के लिये काम करना है. वनविभाग के अब तक के प्रयास या कार्य जो वनों के भीतर किये जाते रहें हंै, वैसे प्रयास गांवों के नजदीक करने की जरूरत है. ताकि आम लोगोंे को वन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी मिले.
प्रश्न :- खबर है कि तेन्दुपत्ता का बोनस दो साल से नहीं बांटा गया था ?
उत्तर :- हां, तेंदुपत्ता का बोनस पिछले दो साल नहींे बांटा गया था. अभी हमने २६ करोड़ रूपये का तेन्दुपत्ता बोनस वितरण किया है. इसी प्रकार सालबीज के ३० करोड़ रूपए बोनस के रूप में वितरित किए गए है. पूरे प्रदेश के १० हजार वन ग्रामों में पीने के पानी की सुविधा एवं कु टीर उद्योगों का विकास करना चाहते है.
प्रश्न :- आप वनौषधि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये और क्या करेंगे ?
उत्तर :- वनौषधि उत्पादन की संभावनाआें को देखते हुये राज्य शासन की पहल पर राष्ट्रीय औषधि पादप बोर्ड ने राज्य को चार प्रोजेक्ट के लिये ९४ लाख रूपए दिये है. इस राशि का उपयोग वनौषधि के विकास में किया जायेगा. वन विभाग के माध्यम से चल रही हर्बल परियोजनाआें को अच्छी सफलताएं मिल रही है. बीते वित्तीय वर्ष मेंे सिर्फ ५० तरह की वस्तुएं बेचकर वन समितियों ने करीब ८३ लाख रूपये कमाएं है.