प्रश्न :- रायपुर स्टेशन पर पर्यटन सूचना केन्द्र के बाद अब आगे आपकी क्या योजना है ?
उत्तर :- डोंगरगढ़, रायगढ़ और दुर्ग में भी रायपुर की तरह रेलवे स्टेशनों पर पर्यटन सूचना केन्द्र स्थापित किया जाएगा. यदि रेलमंडल सहयोग करेगा तो रायपुर के अलावा डोंगरगढ़, रायगढ़ और दुर्ग स्टेशनों में पर्यटन सूचना केन्द्र के अलावा हेंडिक्राफ्ट केन्द्र स्थापित की जाएगी. छत्तीसगढ़ अब देश-विदेश के पर्यटक नख्शों में तेजी से उभर रहा है, जिसके लिए विमानतल पर सूचना केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं. लेकिन राज्य में रेलयात्रा करने वाले पर्यटनों को सुविधा देने के लिए स्टेशन में भी सूचना केन्द्र खोला गया है.
प्रश्न :- बस्तर में पर्यटन विस्तार पर क्या कार्य चल रहा है ?
उत्तर :- अगले दो वर्ष में बस्तर संभाग पर २० करोड़ रूपए खर्च होंगे. ईशान वन कांकेर में जहां पर्यटक होटल बनेगा वहीं पंचवटी, दलपत सागर, चित्रकोट, नगर नार, बारसूर व भोपालपटनम को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा. वनग्राम के विकास के लिए प्रत्येक वनग्राम को १५-१५ लाख रूपये दिए जाएंगे ताकि सड़क, पेयजल व स्कूल जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जा सके.
प्रश्न :- कितने स्थानों को छत्तीसगढ़ पर्यटन ने चिन्हाकित किया है, और वहां पर क्या कार्य चल रहा है ? उत्तर :- राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल का गठन कर १०५ स्थानों को पर्यटन स्थलों के रूप में चिन्हांकित किया गया हैं, जहां बुनियादी सुविधाआें के विकास के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे है. पर्यटकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाआें को गाईड के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. पर्यटकों के लिए राज्य के २१ स्थानों पर होटल निर्माण और सुलभ शौचालयों का निर्माण का कार्य प्रगति पर है. राज्य सरकार धरेलू विमान सेवा के लिए देश की प्रमुख निजी कंपनियों से बातचीत कर रही है. निकट भविष्य में यह सेवा शुरू होने पर पर्यटन विकास में भी और अधिक तेजी आयेगी. प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ का लगभग ४४ प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र हरे-भरे जंगलों से आच्छादित है. इस नये राज्य में बारनवापारा, अचानकमार और भोरमदेव अभ्यारण्य समेत कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान को प्रदेश-सरकार पर्यावरण आधारित पर्यटन (इको टुरिज्म) के लिए विकसित कर रही है.
प्रश्न :- टाईगर सफारी पार्क का कार्य कहां तक पहंुचा है ?
उत्त्र :- गंगरेल बांध के पास १११ एकड़ क्षेत्रफल में टाईगर सफारी पार्क बनाने की तैयारी जारी है. इस पार्क में शेर-चीता एवं अन्य जंगली जानवर तो खुले मैदान में घूमते रहेंगे, किन्तु दर्शक पिंजरे के अंदर से देखने का लुत्फ लेंगे. इस क्षेत्र में विशाल गंगरेल बांध के अलावा शेटल डेम, रूद्री,बैैराज सहित कई छोटे-छोेटे तालाब भी हैं. जो जंगली-जानवरों के लिए उत्तम स्थल हैं. पर्यटकों के दृष्टिकोण से यहां विशाल गंगरेल बांध पर मोटर बोट की सुविधा के अलावा पर्यटन विभाग द्वारा कॉटेज का भी निर्माण करा दिया गया है. पास में ही पर्यटकों की धार्मिक भावना के मद्देनजर प्रसिद्ध अंगारमोती मंदिर के अलावा निर्माणाधीन टाइगर सफारी पार्क बनाने की तमाम औपचारिकताएं वन विभाग व पर्यटन विभाग द्वारा लगभग पूरी कर ली गई है, और अनुपूरक बजट में भी संभवत: इसके लिए आवश्यक धनराशि भी उपलब्ध करा दी जाएगी.
प्रश्न :- जतमई माता पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित करने के पीछे क्या कारण है ?
उत्तर :- जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख पायेंगे. पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक २०० मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब ७० मीटर है. यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर एक-दूसरे के ऊ पर इस कदर टिके हैं, जैसे किसी ने उन्हें जमाया हो. जतमई में प्रमुख मंदिर के निकट ही सिद्ध बाबा का प्राचीन चिमटा है, जिसके बारे में किवंदती है कि यह १६०० वीं शताब्दी का है. नवरात्रि के समय यहां अब दर्शनार्थियों की भीड़ लगने लगी है.
प्रश्न :- जलाशयों के विकास के लिए आपके द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं ?
उत्तर :- प्रदेश में घरेलू पर्यटन व विदेशी पर्यटन के विकास के लिए राज्य के जल संचय क्षेत्रों में जलक्रीड़ा को बढ़ावा दिया जाएगा. एक माह के भीतर बूढ़ातालाब, गंगरेल जलाशय, दलपत सागर, जगदलपुर व समोदा जलाशय में पैडल बोट, स्पीड बोट तथा स्कूटर वाटर से सुसज्जित किया जाएगा. वर्तमान में बूढ़ातालाब में १५ में से १० पैडल बोट चालू हालत में व्यवहार में लाई जा रही है. जबकि गंगरेल जलाशय में जलसंसाधन विभाग के माध्यम से कुछ पैडल बोट चलाई जा रही है. बूढ़ातालाब में १० पैडल बोट २ स्पीड बोट तथा वाटर स्कूटर पर्यटकों की जलक्रीड़ा के लिए उपलब्ध कराया जायेगा. जबकि गंगरेल जलाशय में १० पैडल बोट व ४ स्कू टर दिए जा रहे हैं. उसी प्रकार जगदलपुर के दलपत सागर में ५ पैडल, २ स्पीड बोट और २ वाटर स्कूटर दिये जाएंगे.
प्रश्न :- किन-किन तालाबोंे के विकास के लिए योजनाएं बनाई गयी है ?
उत्तर :- शहर के मध्य स्थित नरहेश्वर तालाब, बूढ़ा तालाब व महाराजबंध तालाबों का विकास व सौंदर्यीकरण किया जाएगा. लोगों के आकर्षण के लिए इन तालाबों का विकास करने की योजना छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा बनाई गई है. इस योेजना के अंतर्गत आगामी तीन सालों में दस करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे. इन तालाबों के सौन्दर्यीकरण के बाद दुधाधारीमठ, सरोना के प्राचीन मंदिर, उर्जा पार्क सहित रायपुर स्थित अन्य धार्मिक आस्था के केन्द्रों को शामिल कर रायपुर स्थित अन्य धार्मिक आस्था के केन्द्रों को शामिल कर रायपुर शहर के टूरिस्ट सर्किट बनाया जा सकता है.
प्रश्न :- बिलासपुर जिले में विकास के क्या कार्य हो रहे है ?
उत्तर :- बिलासपुर जिले के ४२ वन ग्रामों के विकास के लिए प्रत्येक ग्राम के मान से १५ लाख रूपये की राशि तीन साल में खर्च की जायेगी. इस राशि से वन ग्रामों में बुनियादी सुविधाएं विकसित होगी. छत्तीसगढ़ में पर्यटन सुविधाआें के विकास की योजना के तहत बिलासपुर जिले के राजमेरगढ़ को हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया जायेगा.