विधि एवं विधायी विभाग(४ वर्ष की उपलब्धि)
१ राज्य के ०७ राजस्व जिलों को सिविल जिला बनाया गया। २ पारिविारिक विवादो के निराकरण के लिए प्रदेश में १४ कुटुम्ब न्यायालय की स्थापना व प्रदेश के सभी जिला में परिवार न्यायालय की स्थापना। ३ छत्तीसगढ़ माध्यस्थम का गठन । ४ न्यायाधीशो के प्रशिक्षण हेतु न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान उच्च न्यायालय बिलासपुर में स्थापित। ५ राज्य के न्यायालयो के लिए ६१ व्यवहार न्यायाधीश की नियुक्ति । ६ उच्च न्यायालय में विभिन्न स्तर के कुल १३१ पद निर्मित । ७ उच्च न्यायालय में स्थायी लोकअदालत प्रारंभ । ८ प्रदेश में १३४०३.४९ लाख रूपये की लागत से न्यायालय भवनों एवं न्यायिक आवास ग्रृह, अभिलेखाकार भवनों का निर्माण कार्य । ९ १०२.५२ करोड़ के लागत से बिलासपुर में उच्च न्यायालय भवन एवं न्यायाधीशों, अधिकारियों व कर्मचारियों के आवास निर्माण। १० हिदायतुल्ला राष्ट्रीय वि. वि. के लिए ४० करोड़ की लागत से भवन निर्माण प्रारंभ। ११ हिदायतुल्ला राष्ट्रीय वि. वि. में वर्ष भर हिदायतुल्ला जन्म शताब्दी कार्यक्रम। १२ रायपुर एवं बिलासपुर जिला न्यायालय का कम्पयूटरीकरण एवं आनलाइन से जोड़ा गया है । १३ प्रदेश की सभी १६ जिलोे में विशेष विद्यृत न्यायालय गठित । १४ राज्य में विवाहो का पंजीकरण अनिवार्य । १५ प्रदेश में कुल ६१६ लोक अदालत आयोजित, २२४०७ प्रकरण निराकृत, ४३५३० व्यक्ति लाभान्वित । १६ प्रदेश मे कुल ९० पेेंशन अदालत आयेाजित, १०१ प्रकरणों का निराकरण, १०१ परिवार लाभान्वित । १७ उच्च न्यायालय में न्यायाधीशांे की संख्या ८ से बढ़ाकर १८ करने का प्रस्ताव केन्द्र को प्रेषित । १८ उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालयों में विभिन्न स्तर के १००० से भी अधिक पद की स्वीकती । १९ प्रदेश के सभी जिलो में ३१ फास्ट ट्रेक न्यायालयों का गठन, (कार्यकाल २०१० तक बढ़ाया गया) २० कुरूद, भाठापारा, बीजापुर, प्रतापपुर, पत्थलगांव में व्यवहार न्यायालय की स्थापना । २१ गरियाबंद, भाठापारा, सारंगढ़ में एडीजे कोर्ट की स्थापना। २२ प्रदेश में २५ सिविल न्यायालय की स्थापना का निर्माण ।